Tuesday, April 27, 2010

रसखान के पद

गोकुल गांव के ग्वारन
मानुष हौं तो वहीं रसखानि, बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।
जो पसु हौं तो कहा बसु मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धरयौ कर छत्र पुरन्दर-धारन।
जो खग हौं तो बसेरो करौं, मिलि कालिंदी-कूल-कदम्ब की डारन॥
यह पद रसखान के भजन संग्रह से उद्धृत है। कृष्ण भक्त रसखान कहते हैं कि यदि मनुष्य के रूप में जन्म लें तो गोकुल के ग्वाला बनकर आएं। पशु के रूप में नंद की गाय बनें। पत्थर हों तो गोवर्धन पर्वत का जिसे कृष्ण अपनी अंगुली पर उठाया और पक्षी के रूप में जन्म लें तो यमुना के किनारे उस कदम्ब की डाल पर बसेरा हो जहाँ श्रीकृष्ण ने लीला की थी।
राजतिहूं पुरकौ तजि डारौं
या लकुटी अरु कामरिया पर, राज तिहूँ पुरकौ तजि डारौं।
आठहु सिद्धि नवो निधिकौ सुख, नन्द की गाइ चराइ बिसारौं॥
रसखानि, कबों इन आँखिनसो, ब्रजके बन-बाग तडाग निहारौं।
कोटिक हों कलधौतके धाम, करील की कुञ्जन ऊपर बारौं॥
यह पद रसखान के भजन संग्रह से उद्धृत है। रसखान कहते हैं कि बालकृष्ण की उस लकुटी काँवरिया पर तीनों लोकों का राज्य भी छोड दूं। नन्द की गाय यदि चराने को मिले तो अष्टसिद्धि व नवनिधि का सुख भी भुला दूं।
सिर सुन्दर चोटी
धूरि-भरे अति सोभित स्यामजु, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी।
खेलत-खात फिरैं अँगनाँ, पगपैजनी बाजतीं, पीरी कछोटी॥
वा छबिकों रसखानि बिलोकत, बारत कामकलानिधि-कोटी।
कागके भाग कहा कहिए, हरि-हाथसों लै गयो माखन-रोटी॥
रसखान का यह पद उनके भजन संग्रह से उद्धृत है।
जु वही मन भायौ
प्रान वही जु रहैं रिझि वा पर, रूप वही जिहिं वाहि रिझायौ।
सीस वही जिन वे परसे पद अंग वहीं जिन वा परसायौ॥
दूध वही जु दुहायो वही सों, दही सु सही जु वही ढुरकायौ।
और कहा लौं कहौं रसखान री भाव वही जु वही मन भायौ॥
रसखान का यह परम लोकप्रिय पद है। यह उनके भजन संग्रह से उद्धृत है।
छछियाभरि छाछपै नाच नचावैं
सेस, महेस, गनेस, दिनेस, सुरेसहु जाहि निरन्तर गावैं।
जाहि अनादि, अनन्त, अखण्ड, अछेद, अभेद सुबेद बतावैं॥
नारद-से सुक ब्यास रटैं, पचिहारे, तऊ पुनि पार न पावैं।
ताहि अहीरकी छोहरियाँ, छछियाभरि छाछपै नाच नचावैं॥
रसखान का यह पद भजन संग्रह से उद्धृत है।

4 comments:

  1. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  2. मैं कब से कुछ ऐसी ही जानकारी वाले ब्लॉग की तलाश में था. मुझे आत्मिक ख़ुशी हुई. धन्यवाद

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  3. रसखान के पद पढवाने के लिए आभार

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